
मोइनुल हक स्टेडियम। इसे बिहार का इकलौता अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम कहा जाए या फिर सीआरपीएफ का बेस कैंप फर्क करना मुश्किल है। यहां अब क्रिकेट के मैच के दौरान दर्शकों की तालियां और शोर सुनने को नहीं मिलती, बल्कि ड्रम की आवाज पर कदम ताल करते जवानों के बूट की धमक और बिगुल की आवाज सुनाई पड़ती है। हर दिन। सुबह-शाम। बीते करीब 22 वर्षों से इस स्टेडियम में कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला गया।
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