
गयाजी की मोक्षदायिनी अंत:सलिला फल्गु की वर्तमान तस्वीर पीड़ादायक है। देश-दुनिया के सनातन धर्मावलंबियों की आस्था के केंद्र इस पवित्र नदी में स्नान और तर्पण के लिए पानी नहीं हैं। बावजूद नदी के प्रति आस्था ऐसी कि मोक्षधाम आने वाले नदी में बहने वाले शहर के गंदे पानी में भी लोटा और मग से स्नान कर रहे हैं और तर्पण भी। यह व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा है। पितरांे को मोक्ष दिलाने के लिए आनेे वाले तीर्थयात्रियों के लिए इस नदी में स्नान और तर्पण का महत्व है। पितृपक्ष में लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय मेले में यहां पांच से सात लाख तीर्थयात्री पहुंचते हैं। साल भर यहां कर्मकांड होता है। विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अनुसार प्रतिवर्ष करीब 25 लाख तीर्थयात्री गयाधाम में पितराें को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से कर्मकांड के लिए आते हैं।
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