
छोटे-छोटे तिरंगों का पैकेट हाथ में लिए मेरे बेडरूम के राजपथ पर घुसपैठ करते हाजी बोले, ‘मुबारकबाद दो आज़ादी की हमें महाकवि !’ मैंने भी अपना अधिकार जताया, ‘तो तुम भी हमें मुबारकबाद दो!’ हाजी ने छेड़ा, ‘शादी-शुदा आदमी को काहे की मुबारकबाद?’ मैंने भी बॉल वापस की, ‘अब खट्टे अंगूर वाली मत करो हाजी! तुम्हारी नहीं हुई तो शादी को ही बुरा बता दिया?’ हाजी अपनी पसंदीदा नाव पर सवार हो गया, ‘तुम भी तो बारात लेकर गए थे कांग्रेस के दरवाज़े पर। जब गेटकीपर ने उपसभापति इलेक्शन में बाहर से ही धकिया दिया तो अब कहते हो, अकेले चुनाव लड़ेंगे जी। ये न हुई खट्टे अंगूर वाली?’
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Today's Top Hindi News Headlines From India and World - Dainik Bhaskar https://ift.tt/2nwLx0P
via
IFTTT
0 comments:
Post a Comment