
हर माह नगर निगम के अफसरों का मोबाइल बिल करीब 5 लाख रुपए आता है। यह राशि हमारे द्वारा दिए गए टैक्स से जमा होती है। लेकिन काम करना तो दूर ये अफसर फोन तक नहीं उठाते। यह हकीकत है। नगर निगम की कार्यप्रणाली की। अमूमन हर निगम परिषद बैठक में इस मुद्दे पर हंगामा होता है। गर्मी के मौसम में जलसंकट की स्थिति में तत्कालीन निगमायुक्त प्रियंका दास ने जलकार्य विभाग के इंजीनियरों के फोन आम जनता के लिए सार्वजनिक किए थे। लेकिन जब यह इंजीनियर पार्षदों के फोन नहीं उठाते तो आम जनता के फोन को लेकर ऐसी उम्मीद करना ही व्यर्थ है।
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