'बोल कि लब आजाद हैं तेरे, बोल जबां अब तक तेरी है।' फैज अहमद की प्रसिद्ध नज्म की यह पहली पंक्ति लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बखूबी बयां करती है।
from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/2MpSYql
via IFTTT
Monday, January 25, 2021
Home »
Latest And Breaking Hindi News Headlines
,
News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala
» गणतंत्र दिवस: अभिव्यक्ति, आजादी और गणतंत्र, 'बोल कि लब आजाद हैं तेरे'
0 comments:
Post a Comment