
बिहार के हिस्से की भारत-नेपाल की नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर किसका नियंत्रण है? सशस्त्र सीमा बल का, नेपाल की आर्म्ड पुलिस फोर्स का, कस्टम का, आईबी का, सीमावर्ती जिलों की पुलिस का या फिर इनमें से किसी का नहीं ! जवाब साफ है-नियंत्रण रेखा पर पूर्ण नियंत्रण इनमें से किसी का नहीं है। वैधानिक रूप से पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से किशनगंज के गलगलिया तक भारत-नेपाल के बीच महज दर्जन भर कारोबारी रास्ते हैं, लेकिन हकीकत है कि खुली सीमा पर असंख्य चोर दरवाजे हैं। दो सौ से अधिक तो नदी नाले हैं। नेपाल में इन्हें खोला कहते हैं। मित्र राष्ट्रों की जनता की बेरोकटोक आवाजाही की आड़ में इन रास्तों का फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। बड़ा सवाल है कि नेपाल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। खुली सरहद का खतरा तो हम झेल रहे हैं। 729 किमी लंबी इस सीमा की दैनिक भास्कर की चार टीमों ने पांच दिनों तक चप्पे-चप्पे की पड़ताल की। कहीं पैदल, कहीं मोटरसाइकिल से, तो कहीं नाव व गाड़ी से।
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