
बात 2016 की है। साउथ दिल्ली में रहने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतवंत सिंह इस बात से परेशान थे कि कोई उनके घर की छत पर मलमूत्र फेंक जाता है। वो हर दिन साफ करते, लेकिन अगले ही दिन फिर से मलमूत्र छत पर पड़ा मिलता। काफी दिनों के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि फ्लाइंग के दौरान एयरक्राफ्ट का टॉयलेट टैंक साफ किया जाता है। जो उनके घर की छत पर गिरता है। गुस्से में वो एनजीटी कोर्ट पहुंच गए। शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद एनजीटी ने डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) को सर्कुलर जारी किया कि वो श्योर करें कि फ्लाइंग के दौरान एयरक्राफ्ट के टॉयलेट टैंक साफ न किए जाए। ऐसा करने पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा। लेकिन इस मामले में ट्विस्ट तब आया, जब डीजीसीए ने कोर्ट में कहा कि फ्लाइंग के दौरान टॉयलेट टैंक की सफाई पॉसिबल ही नहीं है।
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